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मानक विरूद्ध चल रहे हैं मोटर ट्रेनिंग स्कूल

बिना ट्रेनिंग कराये रेवड़ी की तरह बांटा जा रहा सार्टिफिकेट




पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, संतकबीरनगर

संतकबीरनगर। जनपद में चल रहे मोटर ट्रेनिंग स्कूलों द्वारा बिना ड्राइविंग का ट्रेनिंग दिये फीस की मोटी रकम लेकर सार्टिफिकेट रेवड़ी की तरह बांटा जा रहा है। जनपद में रायल मोटर ट्रेनिंग सेन्टर नन्दौर,संतकबीर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल बनकटिया, शाही मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग कोइलसा बाघनगर और आलिया ट्रेनिंग स्कूल मेंहदावल सहित आधा दर्जन संस्थाओं को परिवहन विभाग ने मोटर ट्रेनिंग स्कूल का दर्जा दिया है।हैवी गाड़ियों को चलाने के लिए जो लाइसेंस जारी किया जाता है उसके लिए वाहन चालकों को किसी मोटर ट्रेनिंग स्कूल से सार्टिफिकेट लेना अनिवार्य है इसी नियम की आड़ में ट्रेनिंग स्कूल वाले ड्राइविंग लाइसेंस लेने वालों का शोषण कर रहे हैं।इन संस्थानों में दिखाने के लिए डग्गामार वाहनों को रखा गया है और इन्हीं वाहनों से ट्रेनिंग देने की बात की जाती है संस्थानों के पास वाहनों को चलाने के लिए जगह नहीं है तो ट्रेनिंग कहां पर देंगे।कुल मिलाकर जो मोटी फीस देता है उसे सार्टिफिकेट दे दिया जाता है। बताया जाता है कि यह खेल राज्य भर में चल रहा है लेकिन अन्य जिलों में एक हजार में सार्टिफिकेट मिल रहा है तो संतकबीरनगर में उसी सार्टिफिकेट का तीन हजार लगता है।यह भी चर्चा है कि नवागत एआरटीओ प्रियवंदा सिंह ने जब से जिले में कार्यभार संभाला है तभी से यह बढ़ोतरी हुई अन्यथा इस जिले में भी एक हजार लगता था।

सूत्रों की मानें तो जिले में तमाम ऐसे लोगों को हैवी ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया गया है जिन्हें ट्रेनिंग स्कूलों द्वारा जिन तिथियों में ट्रेनिंग सार्टिफिकेट जारी किया गया उन तिथियों में वह लोग दिल्ली और मुंबई में रहे। दुर्घटना की बढ़ती संख्या का यह भी एक कारण माना जा रहा है उसके बावजूद विभागीय अधिकारी आंखें बंद किए हुए हैं।इस सम्बन्ध में पूछने पर एआरटीओ प्रियवंदा सिंह ने कहा कि ट्रेनिंग स्कूलों की जांच करेंगे यदि गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई की जायेगी।

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