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क्या दादा क्या परदादा क्या नाती क्या पोता


                                         

कृष्णा पंडित की कलम से

                                                                                वाराणसी: चुनाव आते हैं राजनीति के गलियारों में चर्चा के साथ माहौल बनाने की कवायत तेज हो जाती है चाहे किसी को दिखावे के लिए अपना बनाना हो या वोट साधने की स्थिति दोनों पार्टियों की मजबूरी और नेताओं की कहानी है ! यह बातें यूं ही नहीं कहीं जा रही जमीन से जुड़ी और सच्चाई की मिशाल है जब जब राजनीतिक पार्टियों कमजोर होने लगती हैं तो उनको पुराने लोग ही नहीं बल्कि हर वह चेहरा जो कभी पार्टी के लिए समर्पित था जिसका समर्पण जन-जन में प्रविख्यात होते हुए जनाधार के लिए जाना जाता रहा उसको बहुत तेजी से अभिनंदन के साथ अपनापन दिखाते हुए फोटो खिंचवाते नेताओं की राजनीतिक अनुकंपा देखने को मिलती है !   मोदी जी का औसतन बहुत कम मार्जिन से जीत हासिल करना वाराणसी के बीजेपी के शीर्ष नेताओं की कमजोरी ही नहीं बल्कि उनका वोट बैंक की ओर उनकी गंभीरता और लोगों के प्रति सेवा भाव का ना होना ही प्रमुख कारण है क्योंकि जिस तरीके से बीजेपी की आईडी सेल और नेताओं का भविष्यवाणी था वह कहीं जमीन पर सफल होते नजर नहीं आया !            


सबसे बड़ी बात यह रही की नगर निगम से लेकर वाराणसी की आठ विधानसभा पर बीजेपी की कब्जा होते हुए भी देश के प्रधानमंत्री के लिए वोट का न मिलाना कहीं ना कहीं राजनीतिक छवि और वाराणसी में सफेद कुर्ता पहन घूम रहे नेताओं मंत्रियों के मुंह पर जोरदार तमाचा था ! जिसका भरपाई ना हुआ है ना आगे होगा क्योंकि दिन प्रतिदिन जैसे लोगों का मोह भंग होता जाएगा निश्चित तौर पर दूरियां भी बढ़ेगी चाहे शासन की मंशा कितनी भी अच्छी हो और उसके द्वारा किया गया कार्य सराहनीय जब उसके नेताओं द्वारा निजी स्वार्थ के लिए ही दौड़ लगाया जा रहा हो तो कहीं ना कहीं बिलगाव किया स्थिति आम हो जाता है ! यदि भूल से कोई इन नेताओं के पास कभी मदद मांगने पहुंच गया तो इतने सारे रास्ते और गांधी जी के कई दोहे उसे व्यक्ति को यह सफेद कुर्ता वाले नेताजी याद दिला देते हैं की बेचारा फिर दोबारा उनके दरवाजे जाने के बजाय कोर्ट कचहरी का ही रास्ता अपनाता है यह एक ऐसा कड़वा सत्य है जो शायद इन नेताओं को तनिक भी पसंद नहीं आएगा ! लेकिन वाराणसी के किसी विधायक के मंत्री का कार्य और लोगों से लगाव कुछ परसेंट मात्र ही है जो अपनी लाज बचाने के लिए दौड़ लगा रहे हैं !      


कुछ दिन पूर्व जब श्याम देव राय चौधरी दादा के पास पहुंचे सपा जन तो बीजेपी को भी याद आ गए                         

 सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हो रही है पोस्ट जिसमें यह दिखाया गया है कि जैसे ही सपा के प्रतिनिधियों द्वारा श्याम देव राय चौधरी का अभिनंदन उनके घर जाकर किया गया उसके बाद तो मानो बीजेपी वाले अपने अंदर गर्माहट भारी ऊष्मा के साथ तेजी से श्याम देव राय चौधरी जिनका काशी के इतिहास में भाजपा का झंडा से लेकर श्रेष्ठ नेतृत्व तक को लोहा मनवाने वाले इकलौता नाम है के पास भाजपा नेताओं ने भी हाजिरी लगा दी जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है कहीं यह डर तो नहीं सता रहा की सपा के लोगों के द्वारा अभिनंदन भाजपा की वोट बैंक में सेंध ना लगा दे ? अन्य कई तरह के बातें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काशी के मानिंद लोग चर्चा कर रहे हैं यही नहीं भाजपा के स्थानीय नेताओं को खूब-कोसते नजर भी आ रहे हैं ! नेताओं को केक खाने व जन्मदिन मनाने से फुर्सत मिल जाए तो जनता के बीच जाकर मुद्दों को लेकर जिला प्रशासन व संबंधित विभाग से उनको न्याय दिलाने का कार्य हो सके यहां तो सिर्फ पार्टी मीटिंग और निजी स्वार्थ के लिए जेब गर्म करने के अलावे अन्य कोई सामाजिक सरोकार दिखाई नहीं देता !                                                 यदि बातें की जाए तो बहुत दूर तक जाएगी क्योंकि अभी तो आने वाले दिनों में चुनावी सरगर्मी और तेज होगा और कई सारे बनावट के चेहरे फूलों के साज से बेनकाब होंगे  !        

भाजपा को लगानी होगी नए और धुरंधर चेहरों पर दाव          

 यदि भाजपा को पूर्व की स्थिति में आना है तो ऐसे चेहरे की तलाश करनी होगी जो बिना स्वार्थ सामाजिक सरोकार और लोगों के साथ निरंतर अपने कार्य के प्रति जवाब देही तय करते हुए व्यक्तित्व हो और समाज के हर तपके से जुड़ा हुआ है जो समाज के लिए आईना है जो लोगों के लिए भरोसा और विश्वास है ! जिनके प्रति लोगों का आदर सम्मान आज भी बना हुआ है नहीं तो फिर वह दिन दूर नहीं की वोट की तलाश में नोट बांटने पर भी वोट नहीं मिलेगा !

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