पूर्वांचल राज्य ब्यूरो, वाराणसी
वाराणसी। देश के कई राज्यों में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. सभी जगहों पर अस्पतालों में भारी भीड़ उमड़ रही है. राज्य सरकारें डेंगू की रोकथाम के लिए तमाम कदम उठा रही हैं. फिर भी उत्तराखंड, यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं
वाराणसी जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में डेंगू का प्रकोप कम नहीं हो रहा है।जिले में डेंगू का प्रकोप बढ़ने के साथ ही बीएचयू, मंडलीय अस्पताल, दीनदयाल अस्पताल के साथ ही अन्य उपचार स्थलों पर भी मरीजों के परिजन पहुंच रहे हैं। वाराणसी भेलूपुर जैन मंदिर के बगल में स्थित "द वाराणसी क्लिनिक एंड होम्योपैथिक रिसर्च सेंटर की प्रमुख डॉ पूजा गुप्ता बताती है कि " डेंगू एक वायरल संक्रमण है, जो 4 अलग-अलग प्रजातियों के फ्लेविवायरस के कारण होता है। यह वायरस एडीज एजिप्टी और एडीस एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलता है। इस संक्रमण के लक्षण लगभग 4-7 में दिखने लगते हैं।डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छर के काटने के कारण ही लोग गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं,डेंगू के संकेत और लक्षण रोग की गंभीरता और संक्रामण के प्रभाव के अनुसार भिन्न होते हैं। डेंगू के ज्यादातर मामले गंभीर नहीं होते हैं और इनसे संक्रमित व्यक्तियों की मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, पूरे शरीर पर चकत्ते जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह संकेत हल्के या गायब हो सकते हैं और दोबारा दिखाई देने लगते हैं, इनमें तेज बुखार, तेज सिरदर्द, आंखों में दर्द, मतली और उल्टी, नाक या मसूड़ों से ब्लीडिंग और व्हाइट ब्लड सेल की संख्या में कमीभी शामिल है, अतः लक्षण दिखते ही बिना लापरवाही किए योग्य चिकित्सक से परामर्श जरूर लें अपने मन से किसी भी दवा का सेवन न करें
डेंगू में होम्योपैथिक इलाज बेहद ही कारगर है लेकिन ज़्यादातर मामलों में मरीज़ या उसके परिजन ऐलोपैथी पर ही भरोसा जताते हैं। होम्योपैथी पद्धति बेहद ही भरोसेमंद है और इसमें किसी तरह के साइड-इफेक्टस भी नहीं होते। होम्योपैथिक इलाज के दौरान मरीज़ को नियमित दवाओं के साथ-साथ रक्त जांच के ज़रिये प्लेटलेट्स और ल्यूकोसाइट्स काउंट करवाते रहना चाहिए।
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